मुहब्बतों के दुश्मन, नफरतों के दोस्त
अजीब शहर अजीब लोग,
होठों पर मुस्कुराहट, दिल पर आना की काई
यह कैसा शहर यह कैसे लोग
लावारिस पानी में सहमे माओं के कोख
अजनबी शहर में बर्मा के लोग
छा जाएं काले बादल तो हो जुगनुओं का शोर
काश हो कोई ऐसा शहर, ऐसे हों लोग.
– फैज शाकिर
अजीब शहर अजीब लोग,
होठों पर मुस्कुराहट, दिल पर आना की काई
यह कैसा शहर यह कैसे लोग
लावारिस पानी में सहमे माओं के कोख
अजनबी शहर में बर्मा के लोग
छा जाएं काले बादल तो हो जुगनुओं का शोर
काश हो कोई ऐसा शहर, ऐसे हों लोग.
– फैज शाकिर
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