शिकस्त- ए- ख्वाब के बाद
मुस्कुराने का हुनर कहां से लाऊं,
रफूगर मेरा दिल रफू कर दो.
काजी ए शहर ने किया है जालिम के हक में फैसला,
मजलूम को जहर का प्याला दे दो.
जो दूसरों की बुराई करते नहीं थकते हैं फ़ैज़,
उन्हें एक अच्छा सा आईना दे दो.
– फैज शाकिर
मुस्कुराने का हुनर कहां से लाऊं,
रफूगर मेरा दिल रफू कर दो.
काजी ए शहर ने किया है जालिम के हक में फैसला,
मजलूम को जहर का प्याला दे दो.
जो दूसरों की बुराई करते नहीं थकते हैं फ़ैज़,
उन्हें एक अच्छा सा आईना दे दो.
– फैज शाकिर
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