Sunday, 10 September 2017

इस दौर का फरिश्ता भी गुनहगार है

पवित्रता के मुद्दे पर कल तक जो आवाम से मुखातिब था,
उस पर आबरु रेजी का इल्जाम है,
रहनुमा जो तकरीर करते नहीं थकता है इंसानियत पर ,
उस पर अपने ही शहर को आग लगाने का इल्जाम है,
यहां इंसान बेवफा है मगर हैवान वफादार है,
इब्लीस तो इब्लीस, इस दौर का फरिश्ता भी
गुनहगार है.
- फैज साकिर

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