तेरे शहर से जाने के बाद,
अब भी किसी करिश्मे की उम्मीद में,
तुम्हारी पुरानी तस्वीरों के साथ,
एक आशिक उदास बैठा है,
जमी उदास बैठी है,
आसमा उदास बैठा है,
शहर के सभी दर-ओ-दीवार उदास बैठे हैं,
शाम होने को आई है,
आवाज दो परिंदों को,
कि वह लौट जाएं अपने घर,
मां के इंतजार में,
एक बच्चा उदास बैठा है.
- फैज़ शाकिर
अब भी किसी करिश्मे की उम्मीद में,
तुम्हारी पुरानी तस्वीरों के साथ,
एक आशिक उदास बैठा है,
जमी उदास बैठी है,
आसमा उदास बैठा है,
शहर के सभी दर-ओ-दीवार उदास बैठे हैं,
शाम होने को आई है,
आवाज दो परिंदों को,
कि वह लौट जाएं अपने घर,
मां के इंतजार में,
एक बच्चा उदास बैठा है.
- फैज़ शाकिर