Sunday, 20 August 2017

जम्हूरियत को फना होने से अब कोई बचा ले

 सहाफियों के जमीर को अब कोई  जगा दे,
 जहाने-नौ के हर अखबार को अब कोई मजलूमों की आवाज बना दे,
 जिनमें हो  इतनी क़ुव्वत कि हिटलर सरकार गिरा दें,
 दिल्ली के तख्तो ताज को जो पल में हिला दें.
 जम्हूरियत को फना होने से अब कोई बचा ले,
 हर अख़बार सम्पादक का अब कोई गणेश शंकर विद्यार्थी को बना दे,
 जिन्हें ना मालूम हो की ईमान की कीमत  'फैज',
 उन्हें अब कोई पीर मोहम्मद मुनीस के बारे में बता दे.
- फैज शाकिर

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