Monday, 7 August 2017

गांधी तेरे सजर को अब बचाए कौन

औराके पारीना
जिन पर नक्श हो अशफाक -व- बिस्मिल के अफसाने,
इन दंगाइयों को अब दिखाए कौन,
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,
इकबाल तेरा यह तराना अब गुनगुनाए कौन,
गरीबों का मसीहा जो खुद मगन हो रक्स बिस्मिल में,
उस से गरीबों को अब बचाए कौन,
जब सब रहनुमा मशगूल हो फिरका अराई,
गांधी तेरे सजर को अब बचाए कौन.
– फैज शाकिर

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