मंदिर तो बनाई तुमने भी ,
मस्जिद तो बनाई हमने भी,
पर दुर्भाग्य रहा इस मुल्क का,
के हम स्कूल बनाना भूल गए.
जाती तो बनाई तुमने भी ,
फिरका तो बनाया हमने भी ,
पर दुर्भाग्य रहा इस मुल्क का,
के हम लोगों को गले लगाना भूल गए.
गौरी तो बनाई उसने भी ,
अग्नि तो बनाई हमने भी,
पर दुर्भाग्य रहा हम दोनों का,
के हम लोगों को प्यार सिखाना भूल गए.
कमी तो रही कुछ तुम में भी,
कमी तो रही कुछ मुझ में भी,
पर तुम को मुझ पर इल्जाम लगाना याद रहा ,
और अपना कुसूर तुम भूल गए .
– फैज शाकिर
मस्जिद तो बनाई हमने भी,
पर दुर्भाग्य रहा इस मुल्क का,
के हम स्कूल बनाना भूल गए.
जाती तो बनाई तुमने भी ,
फिरका तो बनाया हमने भी ,
पर दुर्भाग्य रहा इस मुल्क का,
के हम लोगों को गले लगाना भूल गए.
गौरी तो बनाई उसने भी ,
अग्नि तो बनाई हमने भी,
पर दुर्भाग्य रहा हम दोनों का,
के हम लोगों को प्यार सिखाना भूल गए.
कमी तो रही कुछ तुम में भी,
कमी तो रही कुछ मुझ में भी,
पर तुम को मुझ पर इल्जाम लगाना याद रहा ,
और अपना कुसूर तुम भूल गए .
– फैज शाकिर
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